शाबाश बेटा, बहुत बढ़ियां लिखते हैं आप तो. आपने मुझसे कहा कि आप भी मेरी तरह कविता लिखते हैं मगर आप तो हमसे बहुत ज्यादा अच्छी लिखते हैं. खूब लिखो, खूब नाम कमाओ और खूब पढ़ाई भी करो.
बहुत आशीष और शुभकामनायें. चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है.
अरे वाह अक्षय। आप तो बहुत बढिया लिखते हैं। ( सच्ची बताऊँ तो मुझसे भी बढिया, पर ये बात किसी को बताना मत) अक्षय आई एम वैरी-वैरी सॉरी कि मेम आज आपसे मिलने नहीं आ पाया, पर जल्दी आऊँगा अपने प्यारे से छोटे भाई से मिलने। एकदम सच्ची। यब तक बहुत सारी पोइट्री करो। गुड नाइट। 'खबरी भैया' 9811852336
आपकी इस कविता को पढ़कर हर कोई अपने बचपन में झाँक सकता है। आप बहुत अधिक धन्यवाद के पात्र हैं। मुझे लगता है कि कविता लिखने का अधिकार केवल आप जैसे मासूमों को दे दिया जाना चाहिए क्योंकि हमारे जैसे बड़ी उम्र के लोग पता नहीं क्या-क्या लिखते हैं। सब बनावटी होता है।
हम हैं हरपल साथ तुम्हारे कभी न हिम्मत हारना जीवन में जो मिले उसी के टूटे स्वप्न संवारना कहता है इतिहास सुनो तुम नई फ़सल के फूलों से मुझे बचाना, मेरे सपने, तम के गहरे शूलों से
16 comments:
शाबाश बेटा, बहुत बढ़ियां लिखते हैं आप तो. आपने मुझसे कहा कि आप भी मेरी तरह कविता लिखते हैं मगर आप तो हमसे बहुत ज्यादा अच्छी लिखते हैं. खूब लिखो, खूब नाम कमाओ और खूब पढ़ाई भी करो.
बहुत आशीष और शुभकामनायें. चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है.
आप लिखते रहें, हम पढ़ा करेंगे.. :)
बहुत बहुत शुभ कामनाऐं
माता सरस्वती आपके अन्दर हमेशा वास करें।
अच्छी कविता है।
वाह! दुआ करता हूं कि तुम्हारे अंदर बादल, पेड़, जल, हवा, फूल सबके अंश भरपूर मात्रा में हमेशा बनें रहें।
अरे वाह अक्षय। आप तो बहुत बढिया लिखते हैं।
( सच्ची बताऊँ तो मुझसे भी बढिया, पर ये बात किसी को बताना मत)
अक्षय आई एम वैरी-वैरी सॉरी कि मेम आज आपसे मिलने नहीं आ पाया, पर जल्दी आऊँगा अपने प्यारे से छोटे भाई से मिलने। एकदम सच्ची।
यब तक बहुत सारी पोइट्री करो।
गुड नाइट।
'खबरी भैया'
9811852336
अक्षय जी,
आपकी इस कविता को पढ़कर हर कोई अपने बचपन में झाँक सकता है। आप बहुत अधिक धन्यवाद के पात्र हैं। मुझे लगता है कि कविता लिखने का अधिकार केवल आप जैसे मासूमों को दे दिया जाना चाहिए क्योंकि हमारे जैसे बड़ी उम्र के लोग पता नहीं क्या-क्या लिखते हैं। सब बनावटी होता है।
वाह-वाह आपका तो सचमुच जवाब नहीं। इस उम्र में आपमें विलक्षण प्रतिभा है। लिखते रहें और हमें पढ्वाते भी रहें। आप निश्चित फूल बन कर महकेंगे....
*** राजीव रंजन प्रसाद
बहुत बढिया बेटे...लगता है. मम्मी को भी पीछे छोडने का इरादा है...
बहुत सी शुभकामनाये हिन्दी चिट्ठा जगत में नाम रोशन करने के लिये.
वाह!
विश्वास नहीं होता! बहुत सुन्दर अक्षय...
अक्षय जी,
आप तो सचमुच बहुत अच्छा लिखते हैं। लगता है मम्मी का पूरा असर पड़ा है आप पर। बहुत खूब।
ऐसे ही लिखते रहो।
बहुत ही सुन्दर कविता लिखी है .समग्र आकाश की सारी विधाओं में पारंगत होने की कामना लगती है.
-Dr.R Giri
अक्षय:
खूब पढो और खूब अच्छा लिखो ..
शुभ कामनाओं के साथ
अनूप
हम हैं हरपल साथ तुम्हारे
कभी न हिम्मत हारना
जीवन में जो मिले उसी के
टूटे स्वप्न संवारना
कहता है इतिहास सुनो
तुम नई फ़सल के फूलों से
मुझे बचाना, मेरे सपने,
तम के गहरे शूलों से
बहुत ही सुन्दर लिखा बेटा, सचमुच बचपन में ऐसी हजारों इच्छाएं होती हैं। इसी तरह लिखते रहें।
जियो गुरु !! काश कि मैं फिर से तुम बन जाता ...
छोटी सी आयु में,इतने अच्छे भाव.परोपकार की भावना को अभिव्यक्ती देती अति-सुन्दर रचना.आप तो नये नहीं,मंजे हुए कवि हो.
शायद इसी को कहते है की" पूत के पाँव पालने में ही दिख जाते है"। बहुत खूब।
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