Monday 30 July, 2007

प्यास कैसी होती है

blogvani

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सोच रहा हूँ मै बैठा,
ये प्यास कैसी होती है,

बिना पानी के मछली जैसी,

या फ़िर सूखे पेड़ के जैसी,

ये प्यास कैसी होती है,

सूख जाते है पेड़ प्यास में,

फ़ट जाती है धरती प्यास में

या फ़िर सुखे सागर जैसी

ये प्यास कैसी होती है

किसी को प्यास है कुर्सी की,

कोई पैसे का प्यासा है,

किसी को प्यास है शौहरत की,

कोई प्राणो का प्यासा है,

ये प्यास कैसी होती है,

मुझको भी तो प्यास लगी है

बढ़ा होने की आस लगी है,

पढ़लिख कर पायलट बनने की,

दूर हवा में उड़ जाने की

दुनिया भर में नाम कमाने की

सोच रहा हूँ मै बैठा,

ये प्यास कैसी होती है॥
अक्षय चोटिया
कक्षा-छठी

12 comments:

Anonymous said...

बहुत खूब। तुम जरूर कामयाब होगे।

kamlesh madaan said...

काफ़ी गहराई से लिख रहे हो बच्चे! तुममें मुझे बडा लेखक नजर आ रहा है जो प्यासा भी है, चिंतित भी है. अच्छा लिखो और आगे बढो,अपने माँ-बाप का नाम पूरे ब्रह्मांड मे रोशन करोगे ये हमारा वादा है।

Divine India said...

वाह छोटे मियाँ आपने तो लक्ष्य साधकर कविता में पूरा जीवन वृतांत गढ़ डाला…।
इतना ऊँचा उड़ने का सपना लिये हो अगर तो कदम भी बहुत धीमे-2 और सलीके से सोंच-समझकर रखना नीति बनाते हुए और आपने माता-पिता की जितनी सेवा करोगे तुम्हारी उन्नति उनकी खुशी से बढ़ती जाएगी… लिखते रहो यह सच्ची भावना और भरते रहो रंग आपनी भावनाओं का आसमान में।

Udan Tashtari said...

अरे, इत्ती कम उम्र मेम इत्ती बड़ी बड़ी बातें. वाह बेटा, बहुत खूब. खूब तरक्की करो.

36solutions said...

अक्षय बाबा, बहुत ही सुन्‍दर कल्‍पना है । मजा आ गया आपके श्रीमुख से सुनकर एवं पढ कर । हमारा आर्शिवाद । दूर तक जाओगे इस विधा में ।

बधाई !
संजीव तिवारी का - आरंभ

Anonymous said...

बेटा .. पायलट बन कर कोई नाम नहीं कमा सका। नेता बन जाओ या कवि बन जाओ। विश्वास मानो सही राय दे रहा हूँ। खूब चल निकलेगी :)

लिखते रहो।

तुम्हरा प्यारा अंकिल :)

नीरज शर्मा said...

सुन्दर आशीर्वाद

Anonymous said...

lagey raho ,merey pyare doston !

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

नन्हें से कवि का प्यारा सा ब्लाग देख कर मजा आ गया। मैं तुम्हारी रचनाएं पढता रहता हूं। ऐसे ही लिखते रहो, आगे चलकल निश्चित रूप से धमाल करोगे। बहुत बहुत बधाई।

Unknown said...

Bahut Khub Chote miya

मीनाक्षी said...

अक्षय बेटा, गहराई में जाकर भावों से भरी रचनाएँ..जब भी यहाँ के स्कूल में बच्चों से मिलने गई तो इस ब्लॉग की चर्चा ज़रूर करूँगी.. ढेरों शुभकामनाएँ और आशीर्वाद...

Sajal Ehsaas said...

yakeen nahi hota ki ek 6 saal ke bache ne likha hai ye...sach much ek ubharta hua sitaara :)