मेरे डैडी
मेरे डैडी सबसे प्यारे,
सारे जग में सबसे न्यारे।
रोज सवेरे सैर पर जाते,
मुझको भी दौड़ लगवाते,
थकहार कर घर को आते,
हिटलर जैसे हुकुम सुनाते,
कभी हँसते और हमे हँसाते,
दिल से बहुत ही प्यारे,
मेरे डैडी सबसे न्यारे।
रोत रात जब घर आते,
आते ही आवाज लगाते,
पढ़ो-पढ़ो की रट लगाते,
पर जब मै मस्ती करता,
बड़े प्यार से चपत लगाते,
मेरे सपनो के हीरो प्यारे,
मेरे डैडी सबसे न्यारे।
घर में सब उनसे डर जाते,
लेकिन मम्मी से वो डर जाते,
सबका घर में ख्याल वो रखते,
दादा-दादी को प्यार वो करते,
दादी माँ की आँखों के तारे,
मेरे डैडी सबसे न्यारे।
आज यही प्रण हम करते,
सदा रहें हम दोस्त बनके,
जैसे सदा प्यार आप करते,
सारे घर का ख्याल भी रखते,
हम भी जब बडे़ हो जाये,
डैडी जैसा नाम कमाएं।
आपका प्यारा बेटा
अक्षय
23 comments:
बहुत ही अच्छी कविता है।
आपने बहुत अच्छा उपहार दिया है।
bahut achha likha hai
keep it up!
अक्षय,
Papa को फादर्स दे पर भी नहीं बक्शा।
अच्छा है।
कविता बहुत ही अच्छी है । ग्यारह साल की आयु में यदि यह हाल है तो आने वाले साल तो मालामाल कर देने वाले होंगे ।
जीयो । जुग-जुग जीयो, खूब लिखो, ऐसा और इतना लिखो कि पापा तुम्हारे नाम से पहचाने जाएं ।
बहुत अच्छा. पापा को इतना बढ़िया तोहफा मिला, वाह!! शुभकामनायें, आपकी सारी मनोकामना पूर्ण हों.
डैडी ऐसा ही क्यों, उनकी प्रेणना पर, उनसे भी ज्यादा नाम कमाओ।
वाह वाह!!
बढ़िया कविता!
शुभकामनाएं
good work.
keep it up :)
अक्षय,
आप बहुत ही सुन्दर लिखते, बिलकुल बचपन सा, नटखट... मजा आता है आपको पढ़कर...
शुभकामनाएँ!!!
वाह..
फादर्स डे पर आपने अपने पापा को बहुत ही सुन्दर तोहफा दिया है। एसे ही लिखते रहे और तरक्की करें मेरी कामना है।
*** राजीव रंजन प्रसाद
क्या कहूं दॊस्त आपकी उम्र में तॊ मैंनें कविता पढना भी नहीं सीखा था... कम्प्यूटर तक नहीं देखा था।
बहुत अच्छा लिखा है।
गगन की उचाँइयां छुऒ।...
सबसे बड़ी बात यह है कि आपकी कविता बनावटी नहीं है। बाल-कविताएँ मुझे बहुत पसंद हैं, और उनको कोई छोटा बालक लिख दे तो वो शत प्रतिशत ओरिज़नल हो जाती है।
apki kavita bahut achi hai
bilkul apki jaise
बहुत प्यारा लिखा है अक्षय,
इसी तरह ढेर सारा लिखते रहो और पढ़ते रहो
माँ की कविता से बेटे की कविता ज्यादा मनमोहक है । होना भी चाहिए । तभी तो कहा गया है माँ की असली पहचान उसकी संताने होती हैं । बधाई
हिंदी में इस गोत्र (इस मनोभाव या रस या भाव या विषय की )की अनगिनत रचनायें पढ़ने का मिलती हैं । फिर भी मौलिकता की संभावना है यहाँ इस कविता में- क्योंकि शिल्प आपका अपना जो है और कविता में खासकर श्रेष्ठ कविता की यही शिनाख्तगी है ।
बहुत सुन्दर लिखा बेटा, बधाई! मेरा आशीर्वाद है कि आप अपने पिताजी से भी ज्यादा नाम कमाओ।
"घर में सब उनसे डर जाते,
लेकिन मम्मी से वो डर जाते"
हा हा, पापा का राज खोल दिया। :)
akshay
very very gud
i m amazed to c u writing so gud a this age
god bless
बच्चे,मन के सच्चे-बहुत ही सुन्दर रचना.बेटे,आपने अपनी मम्मी के सामने, डॆडी की जो स्थिति बताई हॆ,उसे सुनकर मुझे भी थोडी हिम्मत आ गई.घर पर ज्यादातर डॆडियों की यही स्थिति हॆ.
Badhai ho kumar Akshay, Abhi se shabdo aur bhaavo ko bandh liye ho, Bahut bahut badhai.
अरे वाह बेटा ! बहुत प्यारी और मासूमियत भरी कविताएँ हैं ढेर सारा प्यार व आशीर्वाद भगवान श्रीनाथजी तुम्हें निरन्तर प्रगति पथ पर अग्रसर करें यही शुभकामनायें हैं मेरी
वाह बहुत प्यारी कविता है।ऐसे ही नियमित लिखो और अपने मां-पिता का नाम रोशन करो।
jitna waqt bita raha hoon is blog pe utna isse moh hota ja raha hai...lag raha hai jaise apne chhote bhaai ko padh raha hoon :)
www.pyasasajal.blogspot.com
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