Sunday, 21 June 2009

पिता दिवस पर





माँ को सदा ही पूजा हमनें
किन्तु पिता को न पहचाना
बिना तुम्हारे कुछ भी नही है
सारे जग ने अब माना

तुमने हमको सदा गोद में
बिठलाया और प्यार दिया
याद है हमको सदा तुम्हारा
कांधे पे अपने बिठलाना
बिना तुम्हारे कुछ......


सुख में दुख में हर मुश्किल में,
बहे न आंखों से आँसू
निश्चल अटल हिमालय जैसा
स्वरूप तुम्ही को माना
बिना तुम्हारे कुछ...

तीर बने कभी तलवार बने
समय की ऎसी धार बने
सृष्टि निर्माता तुमने सदा ही
सबके सुख में सुख जाना
बिना तुम्हारे कुछ...

घर की छत से टिके रहे
दीवारों से अड़े रहे तुम
सबकी रक्षा को ही तुमने
अपना कर्तव्य माना
बिना तुम्हारे कुछ...