माँ को सदा ही पूजा हमनें
किन्तु पिता को न पहचाना
बिना तुम्हारे कुछ भी नही है
सारे जग ने अब माना
तुमने हमको सदा गोद में
बिठलाया और प्यार दिया
याद है हमको सदा तुम्हारा
कांधे पे अपने बिठलाना
बिना तुम्हारे कुछ......
सुख में दुख में हर मुश्किल में,
बहे न आंखों से आँसू
निश्चल अटल हिमालय जैसा
स्वरूप तुम्ही को माना
बिना तुम्हारे कुछ...
तीर बने कभी तलवार बने
समय की ऎसी धार बने
सृष्टि निर्माता तुमने सदा ही
सबके सुख में सुख जाना
बिना तुम्हारे कुछ...
घर की छत से टिके रहे
दीवारों से अड़े रहे तुम
सबकी रक्षा को ही तुमने
अपना कर्तव्य माना
बिना तुम्हारे कुछ...
किन्तु पिता को न पहचाना
बिना तुम्हारे कुछ भी नही है
सारे जग ने अब माना
तुमने हमको सदा गोद में
बिठलाया और प्यार दिया
याद है हमको सदा तुम्हारा
कांधे पे अपने बिठलाना
बिना तुम्हारे कुछ......
सुख में दुख में हर मुश्किल में,
बहे न आंखों से आँसू
निश्चल अटल हिमालय जैसा
स्वरूप तुम्ही को माना
बिना तुम्हारे कुछ...
तीर बने कभी तलवार बने
समय की ऎसी धार बने
सृष्टि निर्माता तुमने सदा ही
सबके सुख में सुख जाना
बिना तुम्हारे कुछ...
घर की छत से टिके रहे
दीवारों से अड़े रहे तुम
सबकी रक्षा को ही तुमने
अपना कर्तव्य माना
बिना तुम्हारे कुछ...
11 comments:
nice
how can i follow you?
Bahut pyari rachna...
haardik shubhkaamnayne
kisko fursat hot hai.pita ke bare me jaanne samajhne ki?
PITA KYUNKI KABHI APNE DUKH KO KISI SE KAHTA NAHI..SIRF SAHATA HAI..
Bada yathart varnan hai... achha laga kisi ne to pita ka hriday tatola..
तीर बने कभी तलवार बने
समय की ऎसी धार बने
सृष्टि निर्माता तुमने सदा ही
सबके सुख में सुख जाना
बिना तुम्हारे कुछ...
बहुत बढ़िया है अक्षय।
GOD BLESS YOU!
फ़ौलों का ऑप्शन नहीं मिल रहा :( :(
बहुत सुन्दर और भावप्रवण रचना
i like it
वाकई उनके बिना कुछ नहीं ....
शुभकामनायें आपको !
आदरणीया। नमस्कार । मैं संजय सिंह जादौन अपने पिता के व्यर्थ पड़े कविता संग्रहों को एक ब्लॉग बनाकर http://writer-den.blogspot.in/ के माध्यम से पोस्ट कर रहा हूं। लगभग एक कविता संग्रह ''अशीर्ष कविताएं'' लगभग पूरा होने को है। मैं चाहता हूं कि इसी ब्लॉग पर दूसरा कविता संग्रह पोस्ट करूं। मैं चाहता हूं कि किस तरह से इस ब्लॉग पर दूसरा कविता संग्रह दूसरे शीर्षक से पोस्ट किया जाए । कृपया मार्ग दर्शन करें।
bhut hi badiya post likhi hai aapne. Ankit Badigar Ki Traf se Dhanyvad.
Post a Comment